बेहिसाब ऐब है मुझमें, तो छोड़ दे
नही है तेरे काम की चीज़,तो छोड़ दे
ये सारे गम मुझे, मेरे यार लगते है
तुझे मेरी यारी से नही मतलब,तो छोड़ दे
टुकड़ो में,कतरनों में कई हिस्सों में बिखरा हूं
तुझसे गर मैं समेटा नही जाता, तो छोड़ दे
सच के हिमायती थे सारे, मेरे सच से ढह गए
तुझसे भी गर झूठ बोला नही जाता,तो छोड़ दे
ग़मों को, शराब में डुबोकर मारता हूँ हर शाम
तेरे मेयार के मुतक़बिक नही काम,तो छोड़ दे
ज़िंदगी ने कहां उसे, जीने के काबिल रखा
तुझे छोड़कर गर मरता है फ़राज़, तो छोड़ दे
©®राहुल फ़राज़
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