दिल मे उम्मीदों का कारवां रुका तो है
कुछ भी कहलो,लेकिन दिल दुखा तो है
जितनी भी थी ख्वाहिशें उनने दबाकर रखदी
ख्वाहिशों में भी बगवात का जिक्र हुआ तो है
बंदिशें कोई कितनी ही लगा ले,इन पलकों पर
रुखसार पे मगर,अश्कों का असर हुआ तो है
कितनी ही यादें हमने संजोयी है, साथ-साथ
गुजरते वक़्त के साथ राब्ता कम हुआ तो है
राब्ता=मेलमिलाप/संबंध
जज़्बा-ए-दिल है मोहब्बत,कोई शर्त-गाह नही
फ़राज़ उफ्फ करता नही,मगर दर्द हुआ तो है
©®राहुल फ़राज़
जज़्बा-ए-दिल=दिल की खुशी
शर्त-गाह=जहां शर्त के साथ कोई काम होता हो
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