उसकी चालाकियों अब बच निकला है
बड़ी मुद्दतों बाद,अब ये सच निकला है
वो जिसकी औकात है बस दो कौड़ी की
उसके नाम पर एक बड़ा, घर निकला है
एक कमज़र्फ की गिरफ्त में था रिश्ता
जिससे वो शख्स अब बच निकला है
फरेबी थे सारे, रिश्तों का फरेब देते थे
बेड़ियां अब सारी वो, तोड़ निकला है
दुनिया, जमाना, लोग, जाने क्या क्या
सारी हदों को तोड़, वो पार निकला है
जिसकी रगों में है खून मक्कारी का
वो अब बेचने अपना हुनर निकला है
जिसने ओढ़ रखा था, इंसान का चोला
फ़राज़ वो शख्स बड़ा शैतान निकला है
©®राहुल फ़राज़
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