मेरी तस्वीर के आगे, निशानी रख देना कोई
मुझपर भी छोटीसी, कहानी लिख देना कोई
दौर-ए-मुश्किलों को तितलियां समझता था
था एक बच्चा मासूम मुझमें लिख देना कोई
गुनाह होगया साहिल पर रेत के घरौंदे बनाना
समंदर को जालिम, मुझे मासूम लिख देना कोई
मुझे डसने वाले, मेरी ही आस्तीन में पलते रहे
उनको जो मर्ज़ी कहो,मुझे चंदन लिख देना कोई
अक्लमंद थे सारे, शतरंज की बिसात बिछाते रहे
सबको दानिश,फ़राज़ को अनाड़ी लिख देना कोई
©®राहुल फ़राज़
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