है तेरे ही हाथों में कमान ज़िन्दगी का
तू ही है जिम्मेदार, तमाम ज़िंदगी का
अब! हांक दे जैसी मर्ज़ी, गाड़ी ज़िंदगी की
दे दिया तुझे खुदा ने इल्म सही ग़लत का
है ये तेरी मक्कारी, अपने गुनाहों से तौबा नही
इल्ज़ाम खुदा पे धर दिया,अपने हर्फे गलत का
ये तेरी दानिशमंदी की बातें, ये तेरा दोगलापन
तस्किम कर सब खुदा का है,वक़्त एहतराम का
इल्म-दार होके भी फ़राज़, वो करता है जहालत की बातें
गुरूर न स्व(खुद) का,तू मोहरा है ज़िंदगी की बिसात का
©®राहुल फ़राज़
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