प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?
इमानो दिल,नज़ीर की बातें तुम करोगे ?
तुम, जिसे समझती नही, दिल की जुबां
मेरी आँखों मे आँखें डाल,बातें तुम करोगे ?
याद है ? मुकर गये थे ज़ुबाँ से ,रिवाजों से भी
ओ ! बे-तहज़ीब, अदब की बातें तुम करोगे ?
इतनें डूबे अहंकार में, आसमां पर थूकने चले ?
ईमान बेचने वाले तुम,तमीज़ की बातें तुम करोगे ?
ये फ़राज़ की जहानत थी, के रिवायत निभाते रहा
परवशता की आड़ में छिपे,लिहाज की बात तुम करोगे?
©®राहुल फ़राज़
इमानो दिल=दिल और ईमान की बात
नज़ीर=फैसला सुनाने की बात
रिवाज़=प्रथा/परंपरा/रीति
जहानत=योग्यता/समझदारी
रिवायत=परंपरा
परवशता=मजबूरी
लिहाज=आदर
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