हाले दिल बयां अपना ,मैं पूरी बहर में करता हूं
उनके दिलपर सांप लोटते है, वो कहर मैं करता हूँ
बगवात क्या करदी मैंने, आंख का तारा बन गया
आजकल तो मैं हर किसी की, नज़र में रहता हूँ
हर अज़ाब सहकर भी मैं,उफ्फ नही करता
दरिया हूं मैं, हर प्यासे की नज़र में रहता हूं
हर एक की मैं, फितरत से वाकिफ हूँ फ़राज़
चंदन हूँ मैं, हरपल सांपों की,जद में रहता हूँ
©®राहुल फ़राज़
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