तन में नही होता मोह कोई
मन मे बसी है तेरे माया
स्वार्थ में लिपटा तूं है बस
श्वास तो बस है एक माया
मन है तेरा मलिन-पापी
अकड़ में तू है भरमाया
उसने दिया था निर्मल मन
तुमने उसमें मोह उपजाया
जैसा बोओगे वैसा काटोगे
जमाना सदियोंसे कहता आया
©®राहुल फ़राज़
प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ? इमानो दिल,नज़ीर की बातें तुम करोगे ? तुम, जिसे समझती नही, दिल की जुबां मेरी आँखों मे आँखें डाल,बातें तुम...
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