सयाने हो सयानापन नही, समझदारी कौनसी है
बिना वजह यूं उलझते हो, बता बीमारी कौनसी है
मैं हरफनमौला-मस्तमौला तेरी आंख में खटक रहा
तन से उजले और मन से मैले, ये बीमारी कौनसी है
मैं मुसाफिर,तू भी मुसाफिर,किसने यहां रह जाना है
नाते गवां कर नगदी जमाना, ये बीमारी कौनसी है
घूमे शहर-शहर, हरि पूजे, तुझसे इंसान न पूजा जाय
माया के फेर में काया जलाय, ये बीमारी कौनसी है
न्यौता आवे भग-भग जावे, पाछौ बहुत ही शोर मचाय
मान-मन्नौअल तुझे रास न आवे, ये बीमारी कौनसी है
फ़राज़ तेरे दोहों से, मानव का तो जीवन तरजाय
रस्सी जले पर बल न जाय, ये बीमारी कौनसी है
©®राहुल फ़राज़
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