शर्माओंगी तो नहीं, तुमको अपनी दिवानी कह दूं
सितारों ने किया है मुकरर्र,अपनें वस्ल का दिन
अपनी मुलाकात को मैं , रूहानी कह दूं
देखता हूं तुमको तो रूह को सूकून ऑंखों को ठंडक आती है
क्या तुमको मैं , कश्मीर की पुरवा सुहानी कह दूं
देखो 'फ़राज़' पर फिर कोई इल्ज़ाम मत लगाना
तेरे रूखसार पे इक गज़ल, बोसों की जब़ानी कह दूं
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़'
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