Tuesday, October 16, 2012

मै तुम्हे ढूंढने, स्वर्ग के द्वार तक..


मै तुम्हे ढूंढने, स्वर्ग के द्वार तक...!
रोज़ जाता रहा , रोज़ आता रहा...!!

तुम गज़ल बन गई, गीत में ढल गई...!
मंच से मै तुम्हे गुनगुनाता रहा...!!
(Base Line Pickup from Dr. Kumar Vishwas ji...)

तुम संवेदना शून्‍य बनकर मेरे भावों को छलती रही
मैं अपनें ही रक्‍त से तुम पर प्रेम गान लिखता रहा ..........

तुम्‍हारी प्रेम तृष्‍णा में, मैं याचक से चातक बना
स्‍वाती नक्षत्र सा प्रेम तुम्‍हारा, मैं बस बाट जोहता रहा........

मेरे ह्रदय के करूण कृंदन से हो न जाओ विचलित कही
श्‍ाब्‍दों से गीतों में परिवर्तित कर तम्‍हे, गुनगुनाता रहा...............
राहुल उज्‍जैनकर 'फ़राज़

2 comments:

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ? इमानो दिल,नज़ीर की बातें तुम करोगे ? तुम, जिसे समझती नही, दिल की जुबां मेरी आँखों मे आँखें डाल,बातें तुम...