इतना मुझे सताऐंगे सोचा न था
दिल तोड़ कर जाऐंगे सोचा न था
उसकी चुड़ीयों से खनकता था घर-आंगन
वो,साज सारे तोड़ जाऐंगे सोचा न था
दिल तोड़ कर जाऐंगे सोचा न था
उसकी चुड़ीयों से खनकता था घर-आंगन
वो,साज सारे तोड़ जाऐंगे सोचा न था
तिनका तिनका जोड़कर आशीयां बनाया था
यूं उजाडेंगे घौसले परिंदो के सोचा न था
मुझे याद है उन्हे बारीश की बूदे पसंद है
बरसात मेरी ऑंखो से करायेगे सोचा न था
ख्वॉबों में भी कभी उनसे बिछड़ना गवांरा न था
'फ़राज़' वो रकी़ब से दिल लगायेंगे सोचा न था
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़'
thanks a lot Yashwant Ji...............
ReplyDeleteसादर आभार
मुझे याद है उन्हे बारीश की बूदे पसंद है
ReplyDeleteबरसात मेरी ऑंखो से करायेगे सोचा न था
Bhavuk kar deti rachna...
मुझे याद है उन्हे बारीश की बूदे पसंद है
ReplyDeleteबरसात मेरी ऑंखो से करायेगे सोचा न था
जानते हुए कि वो कुछ भी कर सकती है, तुम आंख से बरसात कर दोगे सोचा न था... बहुत अच्छे भाव... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
गहरे भाव लिए हुए एक लाजवाब रचना...बहुत खूब...|
ReplyDeleteसादर नमन |
कभी कभी वो हो जाता है... जो सोचा ही ना हो....~जब दुख बँटाने वाले खुद दुख देकर आगे बढ़ जाते हैं...
ReplyDelete~अच्छी प्रस्तुति !
भावनाओं की संवेदनशील अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसुन्दर रचना.....
आप सभी की सराहनाओं को साधूवाद एवं सादर धन्यवाद
ReplyDeleteआभार