Tuesday, November 25, 2014

कण कण में है ईश्वर, मुझे पता है....

कण कण में है ईश्वर मुझे पता है ।
पञ्च तत्त्व में है ईश्वर मुझे पता है ।
चेतन की अवस्था में है कल्पनायें ।
चेतन की अवस्था में है संवेदनाये ।
जिव्हा में है शूल, चेतनावस्था में ।
मांगता है हर कोई प्रमाण,चेतनावस्था में ।
अचेतावस्था में बन जाते हो शून्य मगर ।
वो फिर भी भरता है श्वास अचेतावस्था में
हर प्राणी मात्र में है ईश्वर हर अवस्था में ।
मुझे पता है ।।
मुझे पता है ।।
©®राहुल फ़राज़ —

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