Sunday, December 05, 2021

मेरी मोहब्बत से नावाकिफ, तू भी है खुदा भी है

मेरी मोहब्बत से नावाकिफ, तू भी है खुदा भी है
मेरे जीने का मक़सद मगर, तू भी है खुदा भी है ।

हर ज़ख्म को फिर ताज़ा कर देती है ये बेरुखी
मेरे रिसते ज़ख्मों से अंजान, तू भी है खुदा भी है 

किन तूफानों से गुज़र कर, तुझे पाया था
मेरे इरादों से अंजान, ,तू भी है खुदा भी है 

दूर इतनां न करनां , के फिर दिखाई न दूं तुझे
मेरी दीवानगी से अंजान, ,तू भी है खुदा भी है 

कैसे बसर होती है , ये ज़िन्दगी तन्हा फ़राज़ 
इस सितम से अंजान,  ,तू भी है खुदा भी है 

आठों पहर पूजतां हूँ तुझे, इबादत करता हूँ
तू ही मेरा प्यार, मेरा अरमां, मेरा खुदा भी है 
©®राहुल फ़राज़

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