Thursday, December 19, 2019

माँ, मुझे लोरी सुनाने आजा.....

दर्दे आग़ोश हूँ, मेरे सिरहाने आजा
फिर वही लोरी, मुझे सुनाने आजा
फिर वही......

हर एक शख्स यहां मुझको डरता क्यों है
सहमा सहमा हूँ, आँचल में छुपाने आजा
फिर वही......

किसी शख्स को मेरा इंतेज़ार नहीं
झठा ही सही मुझे गुस्सा दिखाने आजा
फिर वही......

लफ़्ज़ों से दिखाते हैं, मोहब्बत मुझको
तू वही प्यार आंखों से बरसाने आजा
फिर वही......

फिर तेरा मिलना अब मुमकिन ही नही
यूं किसी रोज फ़राज़ को लेने के बहाने आजा
फिर वही......
©®राहुल फ़राज़

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