ज़ख्मे नासूर क्यूँ बना लिया तुमनें
मुझसे दिल क्यूँ लगा लिया तुमनें
हर घड़ी बिखरते हैं अब अरमां तेरे
मुझको बाहों में क्यूँ सजा लिया तुमनें
अश्क ही अश्क हैं,अब आंखों में तेरी
मुझको आंखों में क्यूँ सजा लिया तुमनें
सज़दे करने से तुम्हे,हुआ क्या हासिल
मुझको माथे पे,क्यों सजा लिया तुमनें
एक अदद रोशनी की तलाश थी तुमको
बुझा हुआ चिराग क्यों सजा लिया तुमनें
कुछ नहीं ,बस इक नश्तर है, फ़राज़
दिल के कोने में क्यूँ सजा लिया तुमनें
©®राहुल फ़राज़
Dt: 4 may 2018
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