मेरी तक़दीर का कोई हिसाब नहीं है
कोहिनूर जो तेरे पास है,मेरे पास नही है
थामकर जिसका हाथ, तुम इतरा सकते हो
ऐसा मासूम गुलाब,तेरे पास है मेरे पास नही है
जिसके होने से रहता है, घर रौशन तेरा
वो जादुई चिराग तेरे पास है, मेरे पास नही है
थककर सो जाता होगा, कभी तेरे जानों पर वो
नूर है जो तेरी आंखों का,मेरे पास नही है
फ़राज़ बेवज़ह सी ही है, अब ज़िन्दगी मेरी
तेरी दौलत से बढ़कर,दौलत मेरे पास नही है।
©®राहुल फ़राज़
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