ये न हुआ के दो घड़ी मुझसे गुफ्तगू करले
गीले शिकवे दूर मिलके रूबरू करले ।
कितना कुछ पीछे छोड़ आया मैं अल्हदा ही ।
ये न हुआ के,मुझसे मिलन की जुस्तजू करले
©®राहुल फ़राज़
प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ? इमानो दिल,नज़ीर की बातें तुम करोगे ? तुम, जिसे समझती नही, दिल की जुबां मेरी आँखों मे आँखें डाल,बातें तुम...
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