मेरे इश्क पर ऐतबार,
तुझसे हो न पायेगा।
मेरी तरह प्यार ,बेहद,
तुझसे हो न पायेगा ।
कसते रहो ताउम्र बस
तुम , ताने मुझपर ।
जज़्ब हर ज़ख्म मेरी तरह
तुझसे हो न पायेगा ।
मैं चाहत की हर हद पार
कर चुका हूं इश्क में
फरहाद हूँ मैं शिरीन बनना
तुझसे हो न पायेगा ।
इश्क है तो ऐतबार भी
करना चाहिए था
तुझमे मैं हूँ, तुंम्हे थोड़ा
खोजना चाहिए था
मेरे इश्क की तौहीन करके
क्या पाया आखिर ?
इश्क में यूं फ़राज़ बनना
तुझसे न हो पायेगा ।
©®राहुल फ़राज़
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