Sunday, December 05, 2021

इश्क़ लौट आया है

दिलों दीवारों पर, तेरा नाम 
लिख आया है ।
मोहब्बत का जुनून अपनी
रगों में भर आया है।
क्यों लगाती हो इल्ज़ाम, कि
मैं फरार हो गया।
आ भरले मुझे बाहों में,फिर से
इश्क लौट आया है।
©®राहुल फ़राज़
Dt: 7 Dec 2018

फिरता रहा दरबदर....

फिरता रहता दर-बदर
ठोकरें खाता हुआ 
तुमनें सीने से लगाया
मैं, गुलाब हो गया

मैं, जिसकी खबर भी
न,पूछता था कोई
आज इक चांद का मैं
ख़्वाब हो गया....

तुमने चूम लिया माथा मेरा
जिस रोज, दफ़्फ़तन...
शोला था मैं, आब में 
तब्दील हो गया...

कुछ पल मोहब्बत के,खुदा ने 
तक़दीर में ,लिख दिए
तुमसे मिलकर, फ़राज़ अब
मुक्कमल हो।गया ....
©®राहुल फ़राज़
Dt: 25 nov 2018

माँ , मुझे समझ लेती थी

माँ मुझसे पहले, मुझे 
समझ लेती थी ।
क्या किस्से गढूँगा
पढ़ लेती थी ।

बारिश में घर भीगता भी
आया, अगर
तो, खुदा से  दिनभर
लढ लेती थी 
©®राहुल फ़राज़
Dt: 4 Nov 2018

नासूर क्यों बना लिया तुमने ?

ज़ख्मे नासूर क्यूँ बना लिया तुमनें
मुझसे दिल क्यूँ लगा लिया तुमनें

हर घड़ी बिखरते हैं अब अरमां तेरे 
मुझको बाहों में क्यूँ सजा लिया तुमनें

अश्क ही अश्क हैं,अब आंखों में तेरी
मुझको आंखों में क्यूँ सजा लिया तुमनें

सज़दे करने से तुम्हे,हुआ क्या हासिल 
मुझको माथे पे,क्यों सजा लिया तुमनें

एक अदद रोशनी की तलाश थी तुमको
बुझा हुआ चिराग क्यों सजा लिया तुमनें 

कुछ नहीं ,बस इक नश्तर है, फ़राज़ 
दिल के कोने में क्यूँ सजा लिया तुमनें 
©®राहुल फ़राज़
Dt: 4 may 2018

मेरी ही यादों में खोया है तू

अपनी बेताबियों का जिक्र
तू मुझसे कहाँ करता है ।
मेरी ही यादों में खोया है तू
ये बताया कहाँ करता है।
एक लम्हा मोहब्बत का
इधर उछाल तो दे फ़राज़।
छिपा है इश्क का सैलाब दिल में
तू, ये जताया कहाँ करता है।
©®राहुल फ़राज़
Dt:28 march 2018

झूठ कहती हो तुम

💃🏼🌹💃🏼
मुझे खयालों में लाकर,उफ्फ ये मुस्कुराना तेरा।
झूठ कहती हो तुम कि मुझसे मोहब्बत नही है ।
*©®राहुल फ़राज़*
🌹💃🏼🌹
Dt: 7 feb 2018

दर्द स्याही बन बहता रहा

सारी रात रहा, तेरे खयालों में ग़ाफ़िल,
यूँ ही रात निकल गई।
दर्द स्याही बन बहता रहा 
कागज़ पर,कलम से बात निकल गई।
©®राहुल फ़राज़
Dt:5 Feb 2018

ज़ख्म जल्दी कहाँ भरते हैं

ज़ख्म गहरे हो तो जल्दी कहाँ भरते हैं फ़राज़ ।
घाव सूखनें को होता है, तो कुरेदनें को दिल करता है
©®राहुल फ़राज़
Dt: 24 Jan 2018

मुझे भी शौक हुआ...आईना बनके देखूं

एक रोज़ मुझे भी शौक हुआ, आईना बनके देखूँ।
इसकदर बिखरा हूँ न, अब समेटना मुश्किल है ।।

मुझसे क्या पूछते हो, प्यार वफ़ा इश्क की बातें
तेरे रंग में  रंग गया हूँ,अब छिपाना मुश्किल है।

हर एक सांस मेरी, अब तेरी ही अमानत है ।
कब तलक साथ देगी ये, बताना मुश्किल है ।

फानूस बनके बचा लेता था वो जबतक मेरा था
उसके इल्ज़ाम से अब खुद को बचाना मुश्किल है 

बेहतर है तेरी चाहत में फ़राज़ का ख़ाक होजाना ।
तेरे दिल में इश्क का मगर,चिराग जलाना मुश्किल है
©®राहुल फ़राज़
DT: 4 FEB 2018

वो दिन भी थे...

वो दिन भी थे इन आंखों में डूब जाते थे
पानी का फ़रेब समेटे इक सहरा तो हूँ न ?

पाँव भी मेरे दिल सा पत्त्थर हुआ जाता है
आंखों में अश्क़ न सही पर इंसान तो हूँ न ?

दीवाने की तक़दीर में कहाँ ईद का चाँद
हसरतें दीदार की तेरे मज़ार तो हूँ न ?

बहोत सख्त से थे तेरे लहज़े तेरी बातें
तेरे साँचे में जो ढल गया वो मोम तो हूँ न ?

फ़तह हासिल कर कूच कर जातें है सब 
ता उम्र तेरे दिल मे रहूं वो अरमां तो हूँ न ?

क्या हुआ जो मेरे हिस्से कोई रियासत न आयी
बेकमाल ही सही फ़राज़ बेमिसाल तो हूँ न ?
©®राहुल फ़राज़
Dt:18 jan 2018

फिर उसी गर्त में

फिर कोई धकेल रहा है मुझे उसी गर्त के करीब।
ज़मानें लग गए जहां, दामन के दाग मिटाते-मिटाते।
©®राहुल फ़राज़

अज़ीब सा दर्द दे गया कोई

अजीब सा दर्द दे गया कोई
मुश्किलें बड़ी सर्द दे गया कोई 

जीने की ख्वाहिश कम हुई जाती है
हौसला मगर सख्त दे गया कोई

मैं तबस्सुम पे यकीं रखतां था मगर
जाने क्यों मिरे होंठ सी गया कोई 

शर्मसार हो गई, आज फिर दुनिया 
भरोसे का आज फिर, कत्ल कर गया कोई

रंगों में बंट के रह गया मज़हब 'फ़राज़'
जहन में ये कैसा ज़हर घोल गया कोई 
©®राहुल फ़राज़
Dt: 25 April 2018

मेरी मोहब्बत से नावाकिफ, तू भी है खुदा भी है

मेरी मोहब्बत से नावाकिफ, तू भी है खुदा भी है
मेरे जीने का मक़सद मगर, तू भी है खुदा भी है ।

हर ज़ख्म को फिर ताज़ा कर देती है ये बेरुखी
मेरे रिसते ज़ख्मों से अंजान, तू भी है खुदा भी है 

किन तूफानों से गुज़र कर, तुझे पाया था
मेरे इरादों से अंजान, ,तू भी है खुदा भी है 

दूर इतनां न करनां , के फिर दिखाई न दूं तुझे
मेरी दीवानगी से अंजान, ,तू भी है खुदा भी है 

कैसे बसर होती है , ये ज़िन्दगी तन्हा फ़राज़ 
इस सितम से अंजान,  ,तू भी है खुदा भी है 

आठों पहर पूजतां हूँ तुझे, इबादत करता हूँ
तू ही मेरा प्यार, मेरा अरमां, मेरा खुदा भी है 
©®राहुल फ़राज़

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ? इमानो दिल,नज़ीर की बातें तुम करोगे ? तुम, जिसे समझती नही, दिल की जुबां मेरी आँखों मे आँखें डाल,बातें तुम...