काग़ज पर मेरा नाम लिखकर
फिर नाव बनाई किसने है
कौन रोया, है सहरा में, ये नाव....
बहाई, किसने है
हर इक लफ्ज, आबे कौसर में
खिलकर जैसे कमल हुआ
मुर्दा दिल में, इश्क की ये..
आग लगाई किसने है....
कौन रोया, है सहरा में, ये नाव....
बहाई, किसने है
हर कोई ठुकराता रहा
राह का पत्थर ही तो था
इस पत्थर पर फूलों की ये.....
बरसात कराई किसनें है....
कौन रोया, है सहरा में, ये नाव....
बहाई, किसने है...............
चाके जिगर जिसका हुआ हो
इश्क, वो फिर क्या करेगा
''फ़राज़े'' दिल पर अरमानों की
ये, सेज सजाई किसने है....
कौन रोया, है सहरा में, ये नाव....
बहाई, किसने है
काग़ज पर मेरा नाम लिखकर
फिर नाव बनाई किसने है
राहुल उज्जैनकर फ़राज़
फिर नाव बनाई किसने है
कौन रोया, है सहरा में, ये नाव....
बहाई, किसने है
हर इक लफ्ज, आबे कौसर में
खिलकर जैसे कमल हुआ
मुर्दा दिल में, इश्क की ये..
आग लगाई किसने है....
कौन रोया, है सहरा में, ये नाव....
बहाई, किसने है
हर कोई ठुकराता रहा
राह का पत्थर ही तो था
इस पत्थर पर फूलों की ये.....
बरसात कराई किसनें है....
कौन रोया, है सहरा में, ये नाव....
बहाई, किसने है...............
चाके जिगर जिसका हुआ हो
इश्क, वो फिर क्या करेगा
''फ़राज़े'' दिल पर अरमानों की
ये, सेज सजाई किसने है....
कौन रोया, है सहरा में, ये नाव....
बहाई, किसने है
काग़ज पर मेरा नाम लिखकर
फिर नाव बनाई किसने है
राहुल उज्जैनकर फ़राज़
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