अपनीं गज़लों नज़्मों का हिस्सा बना के रखा है
जमानें के लिये मोहब्बत का किस्सा बना के रखा है
मेरे इश्क के नशे में हरपल गुडगुडाती रहती है
प्यार को मेरे उसनें यारो हुक्का बना के रखा है
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़'
आजकल वक्त मेरा साथ नहीं देता
खुद से बढ़कर, कोई साथ नहीं देता
उम्रभर क्या निभाऐंगे वादे वफ़ा मुझसे
इक रात के लिये भी जो साथ नहीं देता
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज'
जमानें के लिये मोहब्बत का किस्सा बना के रखा है
मेरे इश्क के नशे में हरपल गुडगुडाती रहती है
प्यार को मेरे उसनें यारो हुक्का बना के रखा है
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़'
आजकल वक्त मेरा साथ नहीं देता
खुद से बढ़कर, कोई साथ नहीं देता
उम्रभर क्या निभाऐंगे वादे वफ़ा मुझसे
इक रात के लिये भी जो साथ नहीं देता
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज'
लाजवाब !
ReplyDeleteसादर