सोचनें बस से कहां मिली जमानें में किसी को चाहत है
तेरे नाम में है मगर तुझसे नही यही शिकायत है
बुरी सोच का नतीजा बुरा आम एक कहावत है
मर जाऐ तुम जैसे सरफिरे,तो सही राहत है
राहुल उज्जैनकर फ़राज़
(यह शेर नये उभरते हुए एक शायर को समर्पित है,
जिनका कहना है कि हर 'ठाकरे' को मरना है
हां यकिनन ये कडवा सच है कि सबको मरनां है
मगर सिर्फ 'ठाकरे' को ही ?
मुझे इसमें उनकी कुंठीत मानसिकता ही दृष्टिगोचर हो रही है ....... परिपक्वता की कमी है ......)
पतलूनें गीली होती है जब शेर की दहाड बुलंद होती है
फतह वही हासिल करते है जिनके हाथ में कमंद होती है
काफिर तो ता उम्र करते है कोशिशे शेर को मिटानें की
शेर के मरनें पर फ़राज़,फकत कुत्तों की उम्र लंबी होती है
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़'
तेरे नाम में है मगर तुझसे नही यही शिकायत है
बुरी सोच का नतीजा बुरा आम एक कहावत है
मर जाऐ तुम जैसे सरफिरे,तो सही राहत है
राहुल उज्जैनकर फ़राज़
(यह शेर नये उभरते हुए एक शायर को समर्पित है,
जिनका कहना है कि हर 'ठाकरे' को मरना है
हां यकिनन ये कडवा सच है कि सबको मरनां है
मगर सिर्फ 'ठाकरे' को ही ?
मुझे इसमें उनकी कुंठीत मानसिकता ही दृष्टिगोचर हो रही है ....... परिपक्वता की कमी है ......)
पतलूनें गीली होती है जब शेर की दहाड बुलंद होती है
फतह वही हासिल करते है जिनके हाथ में कमंद होती है
काफिर तो ता उम्र करते है कोशिशे शेर को मिटानें की
शेर के मरनें पर फ़राज़,फकत कुत्तों की उम्र लंबी होती है
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़'
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