तेरी जफ़ा, तेरे ग़म, लो आज सारे भुला दिया
तेरी खुशी पर अरमान अपनें खाक में मिला दिया
उम्मीदें फिर से, मेरे दिल पर, दस्तकें देनें लगी
फिर दिया इश्क का मैनें, तेरे वास्ते जला दिया
तेरी जफ़ा तेर ग़म....
तुम भी रहे मज़बूर दिल से,दिल से हम भी रहे
रूस्वा तुम भी हुए हमसे,ग़मगीन हम भी रहे
इश्क की फुलझडीयॉं अब, फिर से तिडतिडाऐंगी
फिर दिया इश्क का मैनें, तेरे वास्ते जला दिया
तेरी जफ़ा तेर ग़म....
रंगे महफिल सजाने का तुम ने, जबसे मन बना लिया
हर इक रंग से, हमनें अपनां, दिलो-दिवार सजा लिया
वस्ले इंतिजार में फ़राज़', अब अंधेरों का डर नहीं
फिर दिया इश्का का मैनें, तेरे वास्ते जला दिया
तेरी जफ़ा तेर ग़म....
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़'
तेरी खुशी पर अरमान अपनें खाक में मिला दिया
उम्मीदें फिर से, मेरे दिल पर, दस्तकें देनें लगी
फिर दिया इश्क का मैनें, तेरे वास्ते जला दिया
तेरी जफ़ा तेर ग़म....
तुम भी रहे मज़बूर दिल से,दिल से हम भी रहे
रूस्वा तुम भी हुए हमसे,ग़मगीन हम भी रहे
इश्क की फुलझडीयॉं अब, फिर से तिडतिडाऐंगी
फिर दिया इश्क का मैनें, तेरे वास्ते जला दिया
तेरी जफ़ा तेर ग़म....
रंगे महफिल सजाने का तुम ने, जबसे मन बना लिया
हर इक रंग से, हमनें अपनां, दिलो-दिवार सजा लिया
वस्ले इंतिजार में फ़राज़', अब अंधेरों का डर नहीं
फिर दिया इश्का का मैनें, तेरे वास्ते जला दिया
तेरी जफ़ा तेर ग़म....
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़'
वाह...बेहद खूबसूरत नज़्म...
ReplyDeleteगुनगुनाया जाय इसे...
अनु
धन्यवाद अनु जी..................
Deleteसादर