आजाओ एक दर्द का जाम पिला दो मुझको
दर्दे मोहब्बत का कोई इनाम दिला दो मुझको
कांच से नाजुक सपनें तेरी राहों में बिछा दूं
ये लो पत्थर, अपनां निशाना दिखा दो मुझको
आजाओं एक दर्द का जाम पिला दो मुझको
अंधेरों से बहोत डरता है,मेरा मासूम सा दिल
ये लो घरौंदा मेरा,थोडी आग जला दो मुझको
आजाओं एक दर्द का जाम पिला दो मुझको
देखुं कितना जज्ब है इन रिसते हुए जख्मों में
ये लो थोडा इन पर, नमक लगा दो मुझको
आजाओ एक दर्द का जाम पिला दो मुझको
सांसों की डोर थमी है फ़राज़, लफ्ज लफ्ज पिरोनें से
छिन लों ये कलम मेरे हाथों से खबर बना दो मुझको
आजाओ एक दर्द का जाम पिला दो मुझको
राहुल उज्जैनकर फ़राज़
दर्दे मोहब्बत का कोई इनाम दिला दो मुझको
कांच से नाजुक सपनें तेरी राहों में बिछा दूं
ये लो पत्थर, अपनां निशाना दिखा दो मुझको
आजाओं एक दर्द का जाम पिला दो मुझको
अंधेरों से बहोत डरता है,मेरा मासूम सा दिल
ये लो घरौंदा मेरा,थोडी आग जला दो मुझको
आजाओं एक दर्द का जाम पिला दो मुझको
देखुं कितना जज्ब है इन रिसते हुए जख्मों में
ये लो थोडा इन पर, नमक लगा दो मुझको
आजाओ एक दर्द का जाम पिला दो मुझको
सांसों की डोर थमी है फ़राज़, लफ्ज लफ्ज पिरोनें से
छिन लों ये कलम मेरे हाथों से खबर बना दो मुझको
आजाओ एक दर्द का जाम पिला दो मुझको
राहुल उज्जैनकर फ़राज़
सादर आभार यशवंत जी ..........
ReplyDeleteबहोत दिनों के बाद आज यह शुभ दिन आया है.............
आभार
राहुल
बहुत सुन्दर ...भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeletesundar abhiwayakti ....
ReplyDeleteखुबसूरत रचना
ReplyDeleteभावो का सुन्दर समायोजन......
ReplyDeleteआप सभी का हार्दिक आभार धन्यवाद
ReplyDeleteसादर
राहुल