तुम क्यों देनें लगे हो फरेब मुझे वादों के
मालूम तो है, हम तेरी बातों में आजाते है
वो जो इक पल को दिखा जाते हो हुस्न अपनां
कितनें सारे ख्वॉब फिर, इन ऑंखों में आजाते है
तुम क्यों देनें लगे हो फरेब मुझे वादों के
मालूम तो है, हम तेरी बातों में आजाते है
इक कतरा तेरी ऑंखों से जो निकल गया कभी
जानें कितनें सैलाब फिर मेरी पलको पे आजाते है
तुम क्यों देनें लगे हो फरेब मुझे वादों के
मालूम तो है, हम तेरी बातों में आजाते है
इस कदर हावी है फ़राज़, तमन्ना तुझे पानें की
सुबहो शाम आप मेरी दुआओं में आजाते है
तुम क्यों देनें लगे हो फरेब मुझे वादों के
मालूम तो है, हम तेरी बातों में आजाते है
राहुल उज्जैनकर फ़राज़
मालूम तो है, हम तेरी बातों में आजाते है
वो जो इक पल को दिखा जाते हो हुस्न अपनां
कितनें सारे ख्वॉब फिर, इन ऑंखों में आजाते है
तुम क्यों देनें लगे हो फरेब मुझे वादों के
मालूम तो है, हम तेरी बातों में आजाते है
इक कतरा तेरी ऑंखों से जो निकल गया कभी
जानें कितनें सैलाब फिर मेरी पलको पे आजाते है
तुम क्यों देनें लगे हो फरेब मुझे वादों के
मालूम तो है, हम तेरी बातों में आजाते है
इस कदर हावी है फ़राज़, तमन्ना तुझे पानें की
सुबहो शाम आप मेरी दुआओं में आजाते है
तुम क्यों देनें लगे हो फरेब मुझे वादों के
मालूम तो है, हम तेरी बातों में आजाते है
राहुल उज्जैनकर फ़राज़
बहुत खूब ... ये उनकी अदाएं हैं या इश्क ...
ReplyDeleteलाजवाब शेर ...
बहुत खूब ...!!!
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteसरस जी एवं नासवा जी................
आपकी सराहना के बहुमूल्य मोती से मेरा मनोबल सदा ही बढता आया है
आभार
राहुल.............