आंख को जाम लिखो ज़ुल्फ़ को बरसात लिखो
जिस से नाराज़ हो उस शख्स की हर बात लिखो
जिस से मिलकर भी न मिलने की कसक बाकी है
उसी अन्जान शनासा की मुलाकात लिखो
जिस्म मस्जिद की तरह, आंखे इन नमाज़ों जैसी
जब गुनाहो में इबादत थी वो दिन -रात लिखो
इस्स कहानी का तो अन्जाम वही है जो था
तुम जो चाहो तो मुहब्बत की शुरुआत लिखो
जब भी देखो उसे अपनी नज़र से देखो
कोई कुछ भी कहे तुम अपने खयालात लिखो
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हां चलो झूट सही वादे वफ़ा हो जाते
य़ूं बिछ्डते के मेरे लब पे दुआ हो जाते
क्या ज़रूरत थी ज़माने को खबर कर्ने की
घर जलाना था तो चुपके से दिय हो जाते
=-==-=-=-
तन्हा तन्हा हम रो लेंगे महफ़िल-महफ़िल गाऐंगे
जब तक आंसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनायेंगे
तुम जो सोचो वो तुम जानो हम तो अपनी कहते हैं
देर न करना घर जाने में वरना घर खो जायेंगे
बच्चो के छोटे हाथों को चान्द सितारे छूने दो
चार किताबे पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जायेंगे
किन राहों से दूर है मन्ज़िल कौन सा रास्ता आसान है
हम जब थक कर रुक जायेगे औरों को समझायेंगे
अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर-दिल हो मुम्किन है
हम तो उस दिन राय देंगे जिस दिन धोका खायेंगे
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होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चिज़ है
ईश्क किजे फिर समझीये ज़िन्दगी क्या चिज़ है
उन से नज़रे क्या मिली रौशन फ़िज़ायें हो गई
आज जाना प्यार किइ जादूगरी क्या चिज़ है
खुलती ज़ुल्फ़ो ने सिखाई मौसमों को शायरी
झुकती आखों ने बताया मैकशी क्या चिज़ है
हम लबों से कह न पाये उन से हाल-ए-दिल कभी
और वो समझे नही ये खामोशी क्या चिज़ है
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जिधर भी जाऊ नज़र में उस का चेहरा रहता है
वो मेरे ध्यान के सभी रास्तों मे रहता है
बिछ्ड कर उस से परेशान में तो हूं
पर सुना है वो भी उल्झनो मे रहता है
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प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?
प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ? इमानो दिल,नज़ीर की बातें तुम करोगे ? तुम, जिसे समझती नही, दिल की जुबां मेरी आँखों मे आँखें डाल,बातें तुम...
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लाल सुर्ख है उसके पांव की मेहंदी,जरा देख तो लूं क्या किया है कमाल मेरे खूने जिगर ने,जरा देख तो लूं मद्दतों मेरे पहलू में रहा ...
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