दिनांक २०-०५-२०१०, दिन गुरुवार, समय २.१० दोपहर
एक दिन पहले शेखर का फोन आया कि कल भोपाल चल रहे हो क्या ? दुसरे दिन वापस आजायेंगे….मन के घुमक्कड पंछी ने कहा की चल बेटा राहुल घुम आते हैं! उसको तुरंत हां कहा और फोन काटा. पापा से पुछा की भोपाल चल रहे होक्या ? तो पापा ने मना कर दिया…. मैंने भी ज्यादा Force नही किया.. और Car धोने लगा.. बढीयां कार धोयी…. और भोपाल के लिये ready हो गया..
पहले शेखर को लेने उस के घर गया फिर Petrol Tank Full किया और Medical College की और चल पडे वहां से दिपक को लेना था (हम तीनों ही जानें वाले थे) उस को लेके सीधे Bypass की और चल पडे , सब कुछ आराम से चल रहा था.. शेखर नें नुसरत फ़तेह अली खां के गानें लगाये, हम लोग पूरा Enjoy कर रहे थे.. ५० कि. मी. जाने के बाद शहपुरा पुल पर हम लोगों का Photo Session हुआ ! जानें कितनें ही ऐंगल से Photo Session चलता रहा !
फिर हमारी यात्रा का आरंभ हुआ और हम लोग ६० कि. मी. और आगे गये… रास्ता इतना साफ़ था कि बस पूछो मत, गाडी की स्पीड भी अब ६०-६५ पर थी… कई छोटे छोटे पुल पार करते हुए आगे बढ रहे थे.. तभी अचानक ऐसा लगा कि आगे पुलिया के पास बडा सा गढ्ढा है। Speed कम करनें में यही कोई १५ Seconds लगे होंगे तभी गाडी यही कोई आधा फ़ीट गाडी उछलनें पर अपनां संतुलन खो बैठी और पास खडे truck के पिछे जा लगी……बस यहां से start होते हैं हमारे जिवन मरण के २० सेकेंड इन २० पलों में हमनें मौत को आमनें सामनें देखा….मेरी पूरी कोशीश के बावजूद गाडी रुकनें का नाम नही ले रही थी….विवश मजबूर और लाचार होके हम जैसे सिर्फ़ मौत का इंतजार कर रहे हों । परंतु ईश्वर नें हमारे लिये कुछ और ही सोच रखा था…ठीक २० seconds के बाद गाडी अपनें आप रूक गई….इन २० पलों मे हमें ना कुछ सुनाई दिया ना कोई आभास ही हो रहा था….२० पलों के बाद जैसे ही कार से बाहर आये…तो देखा की गाडी डेश बोर्ड तक truck के निचे जा चुकी थी…..
दीपक का चेहरा खून से पूरा लाल हो चूका था….मगर चोट क कहीं नामों निशान तक नहीं था । शेखर के टोढी से भी खून की धार बह रही थी…मैं steering से टकरा गया था शायद जिससे मुझे सिने पर चोट का एहसास हुआ मगर कोइ खून नही बह रहा था….चलनें पर मगर कुछ समय तक चला भी नही जा रहा था….जब हाथ की और ध्यान गया तब देखा की हाथ से तो खून तेजी से बह रहा है…खून वाली जगह में एक बडा सा छेद हो गया है.. ये जगह थी मेरी हथेली…तुरंत एक रद्दी कपडा दिपक से मांगा और हथेली पर पट्टी बना कर बांधी..उधर शेखर को चक्कर आने लगे थे….उसे back seat पर लिटाया और दिपक से कहा की उसे सोने नां दे , कुछ बात करते रहे…तब तक दिपक अपनां चेहरे का खून साफ़ कर चुका था…सर में चोट लगी थी उसके … करीब १/२ इंच का घाव था…
गाडी चलनें की अवस्था में बिलकुल भी नही थी….दिपक के फ़ोन से सबसे पहले फ़ोन किया भाभी जी को….कि वह किसी क्रेन वाले का इंतजाम करें और हम सभी ठीक है एवं चिंता की कोई बात नही है। ७ कि.मी. दूर थाना था वहां जाकर हादसे की FIR की गई । रात करीब ११ बजे क्रेन वाला आया और हम सभी सकुशल घर वापस आ गये…
मेरे Chest का x-ray निकालनें पर पता चला की मेरे Ribs की हड्डी मे fracture है । अब मैं घर पर स्वास्थ्य लाभ ले रहा हूं !
गाडी अभी वर्कशाप में खडी अपना स्वास्थ्य लाभ ले रही है…. सच में इश्वर हमें किस प्रकार बचायेगा ये सिर्फ़ वही जानता है….और हम सभी उस के चरणों में पुन: नतमस्तक हो गये…।