Monday, October 21, 2013

तस्‍वीर से मोहब्‍बत कर बैठा

मेरा दिल इक मासूम पतंगा......, शोले से उल्‍फत कर बैठा
भेजी थी इक तस्‍वीर किसीनें, तस्‍वीर से मोहब्‍बत कर बैठा

सारे नज़ारे बदल गये, रंग ओ बू के इशारे बदल गये
संगीन था दिल का आलम, सब वो रंगीन कर बैठा
भेजी थी इक तस्‍वीर किसीनें........

वो चांद जो साथ चांदनी के, मुझे जलया करता था
देख मेरी उजली चांदनी...., आज अमावस कर बैठा
भेजी थी इक तस्‍वीर किसीनें........

दिवानगी है ये तेरे इश्‍क की, आग भी पानी लगती है
मेरी आंख से बहता कतरा... , आज समंदर बन बैठा
भेजी थी इक तस्‍वीर किसीनें........

लब गुलाब के फूल हो जैसे, या कोई चश्‍मा–ए-इश्‍क
फ़राज़ जाने किसके नाम ये, दिल की दौलत कर बैठा
भेजी थी इक तस्‍वीर किसीनें........
राहुल उज्‍जैनकर फ़राज़

11 comments:

  1. आपकी लिखी रचना मुझे बहुत अच्छी लगी .........
    बुधवार 23/10/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    में आपकी प्रतीक्षा करूँगी.... आइएगा न....
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

    ReplyDelete
  3. sundar rachna ...ahsaso ki khusbu bikherti -- badhayi evam shubhkamnaye

    ReplyDelete
  4. बेहतरीन अभिवयक्ति.....

    ReplyDelete

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ? इमानो दिल,नज़ीर की बातें तुम करोगे ? तुम, जिसे समझती नही, दिल की जुबां मेरी आँखों मे आँखें डाल,बातें तुम...