Saturday, August 05, 2017

बताओ मेरे इश्क का कितना असर होता है

मैं, तड़पता हूं यहां, क्या तुम्हे दर्द होता है ??
बताओ मेरे इश्क का कितना असर होता है

भरी बारिश में, भीगता रहता हूँ, सरे राह
आंखों से रिसते नमक का, असर होता है ?
बताओ मेरे इश्क का कितना असर होता है

छलनी हो जाता है, जिगर मेरा, लोगों की बातों से
लफ़्ज़ों में भी, तलवार से गहरा असर होता है।
बताओ मेरे इश्क का कितना असर होता है

उसकी ज़ुल्फ़ों से घिर आती है, घटाएं अल्लाह!!
गेसुओं में भी, घने बादलों सा असर होता है
बताओ मेरे इश्क का कितना असर होता है

किसी को टूट कर चाहना ईसे कहते है, फ़राज़
तुम उधर तड़पते हो, इधर असर होता है
बताओ मेरे इश्क का कितना असर होता है
©®राहुल फ़राज़ 


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