Monday, March 11, 2013

वो ज़ख्‍म के जिसपर तूने,कभी मरहम नहीं लगाया


अपनी मोहब्‍बत का खज़ाना तेरे नाम लिखता हूं
ये गज़ले ये नज्‍़म ये आंसू तेरे नाम लिखता हूं

सजा लेना दामन में हर सितारा मेरी कहकशां का
तेरे यादों की पूरी दुनिया,ये तेरे नाम लिखता हूं

वो ज़ख्‍म के जिसपर तूने,कभी मरहम नहीं लगाया
नासूर वो सारे तेरी मोहब्‍बत के,तेरे नाम लिखता हूं

वो आंसू जो तेरी खुशी पर जज्‍ब़ कर लिये थे मैनें
समंदर उन अश्‍कों का आज, तेरे नाम लिख्‍ाता हूं

हर पल हर घडी काग़जों पर लिखता रहा बांते दिल की
हर राज-ए-दिल 'फ़राज़',आज तेरे नाम लिखता हूं
अपनी मोहब्‍बत का ख़जाना तेरे नाम लिखता हूं.......
राहुल उज्‍जैनकर फ़राज़

3 comments:

  1. पता नहीं ऐसा क्‍यों होता है.......
    कभी कभी तो कमेंट्स यहां दिखते है , और कभी कभी नहीं दिखते मगर कमेंटस् के ई-मेल जरूर प्राप्‍त होते हैं

    किसी को आयडिया ?

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  2. होली मुबारक

    अभी 'प्रहलाद' नहीं हुआ है अर्थात प्रजा का आह्लाद नहीं हुआ है.आह्लाद -खुशी -प्रसन्नता जनता को नसीब नहीं है.करों के भार से ,अपहरण -बलात्कार से,चोरी-डकैती ,लूट-मार से,जनता त्राही-त्राही कर रही है.आज फिर आवश्यकता है -'वराह अवतार' की .वराह=वर+अह =वर यानि अच्छा और अह यानी दिन .इस प्रकार वराह अवतार का मतलब है अच्छा दिन -समय आना.जब जनता जागरूक हो जाती है तो अच्छा समय (दिन) आता है और तभी 'प्रहलाद' का जन्म होता है अर्थात प्रजा का आह्लाद होता है =प्रजा की खुशी होती है.ऐसा होने पर ही हिरण्याक्ष तथा हिरण्य कश्यप का अंत हो जाता है अर्थात शोषण और उत्पीडन समाप्त हो जाता है.

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    1. शत प्रतिशत सही कहा आदरणीय आपनें


      होली मुबारक

      राहुल

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