कोई गम मुझको भी तो तू अता करती जा
इश्क़ गुनाह है, तो मुझे मुज़रिम करती जा
बड़ा सुकून है जिंदगी में,कोहराम करती जा
मस्तमौला है जिंदगी, तू नींद हराम करती जा
खुशहाल है रास्ते, तू बद से बदतर करती जा
इश्क में हिसाब क्या देखना, तू बेहिसाब करती जा
फ़राज़ खुद कमाल है, तू इसे बेमिसाल करती जा
©®राहुल फ़राज़
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