मेरे लबों का तेरे लबों से मिलना ,मुमकिन हो जाए,काश ।
किसी रोज़ तू मेहरबाँ होके, मेरे पहलु में आ जाये ।
इस कदर पियूँ ,मय तेरे लबों से दिलबर मेरे ।
के फिर सारी उम्र को ये नशा , तारी रह जाए ।
किसी रोज़ समेटलो हमें अपनी बाहों में, इसकदर ।
के, तेरी मरमरी बाहें , बस मेरी ज़ागीर हो जाए ।
मत कर लिहाज़ जमाने का, बस अपने दिल की कर ।
एक रात में तेरी मेरी, बसर पूरी ज़िन्दगी हो जाए ।
इस दीवाने की है आखरी ख्वाहिश, तुझपे फनां होना ।
काश के फ़राज़ तेरी ये बंदगी, कभी क़ुबूल हो जाए ।
©®राहुल फ़राज़
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