तेरी यादों के जुगनु जब
निकलनें लगते हैं
जख़्म सारे दिल के फिर
चमकनें लगते है
हर हसीं चेहरे मेँ बस तुम
ही तुम नज़र आते हो
हुस्न वाले सारे मुझे ,
ख़रीददार लगनें लगते है
तेरी यादों के
जिस प्यार से तुमनें मेरे
अरमानों का ख़ून किया
हाथों में गर फूल भी हो, मुझे
ख़ंजर लगने लगते है
तेरी यादों के
बेसबब आजाता है जब तेरा नाम
मेर होठों पर
मेरी ऑंखों में फिर, दर्द
के समंदर भरनें लगते है
तेरी यादों के
फनां होकर भी फ़राज़ की दिवानगी
नहीं जाती
राख के ढेर में भी चिंगारी
ख़ोजनें लगते है
तेरी यादों के
© राहुल उज्जैनकर फ़राज़
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