कौन था वो
जो जिवन में कुछ आयाम जोड गया
लेकर आया था नयी सुबह
नये रिश्तों की नयी धुप
अद्भुत और अलौकिक खुब
कुछ पलों को आकाश में जो
स्मृतियों के पक्षी छोड गया
कौन था वो.......
.............................कौन था वो......
जिसका मैं अनुभव भी न कर पाया पूर्ण
वाणी का वो मीठापन
वो स्पर्श वो अपनापन
चिरस्थायी हो गये, अंतर्मन में
शैशव काल के , ये निरव क्षण
संपूर्ण क्षण अपनें जिवन के
देकर भी जो........
कर गया मुझको अपूर्ण....... कौन था वो
...... कौन था वो...... कौन था वो
©राहुल उज्जैकनर फ़राज़
जो जिवन में कुछ आयाम जोड गया
लेकर आया था नयी सुबह
नये रिश्तों की नयी धुप
अद्भुत और अलौकिक खुब
कुछ पलों को आकाश में जो
स्मृतियों के पक्षी छोड गया
कौन था वो.......
.............................कौन था वो......
जिसका मैं अनुभव भी न कर पाया पूर्ण
वाणी का वो मीठापन
वो स्पर्श वो अपनापन
चिरस्थायी हो गये, अंतर्मन में
शैशव काल के , ये निरव क्षण
संपूर्ण क्षण अपनें जिवन के
देकर भी जो........
कर गया मुझको अपूर्ण....... कौन था वो
...... कौन था वो...... कौन था वो
©राहुल उज्जैकनर फ़राज़
बहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
ReplyDeleteधन्यवाद सुषमा जी,
Deleteदरअसल यह मेरे कजिन भाई के पुत्र शोक पर , मेरे स्नेह पुष्प हैं
वह मात्र 1 साल का था , अभी हाल ही में उसका देहांत हुआ है,
जन्म के समय से ही उसके ह्रदय में छिद्र था, उसके माता पिता यह जानते थे
परंतु नियती के आगे विवश थे , परंतु जिस जिवटता के साथ उन्होने उसके साथ
समय बिताया वह अपनें आप में , एक दुष्वार कार्य था.... जिसे शब्दों में बांधना
संभव ही नहीं है....
शुभम् भवतु
सादर धन्यवाद यशवंत जी.....
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