लोगों का आना, जाना, फिर
अकेलापन... गहराते जाना
उम्मीदों का चरम पर आकर, फिर सपनों का टुटते
जाना
सिनें में दफन सारे राजों का यूं, आंसूओं से
खुलते जाना
लोगो का आना , जाना
, फिर अकेलापन गहराते जाना
बारीश के मौसम में वो भिगना, साथ दौडते जाना
गीली रेत पर चलना फिर, उससे ही घरोंदे बनाना
हाथों मे हाथ थामकर फिर देर तक बढते जाना
लोगो का आना , जाना
, फिर अकेलापन गहराते जाना
मुद्दतों बाद मिलना फिर भी बस मुस्कुरा जाना
हाथ मिलाना मगर गले लगने से कतरा जाना
जिने मरने का वादा
करनां निभाने से घबरा जाना
लोगो का आना , जाना
, फिर अकेलापन गहराते जाना
Base line pickup from my Bst Frnd… Mrs. Abha ji….
(Rahul
Ujjainkar “Faraaz”)