Monday, July 25, 2022

जिसका डर था

वो न होते हालात,जिसका डर था,जो अब होंगे
हमनें तो,चाहा था साहिब-ए-मसनद आप होंगे

उगने वाले हैं ,अब कुकुरमुत्ते इस ज़मी पर भी
थी खैरियत दिल में, कि, मसले सभी हल होंगे

इक लम्बी खामोशी फैल गई है, बड़ी दूर तलक
अब भेड़ियों के शोर, अपने अडोस-पड़ोस होंगे

है ये आखरी मुकाम नही, सफर बहोत बाकी है
फ़राज़ आज चूहों के सही,कल शेरों के दिन होंगे
©®राहुल फ़राज़

महापौर चुनाव जुलाई 2022 में Dr जामदार जी की हार से दुखी होकर लिखी ।।

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