Thursday, December 19, 2019

माँ, मुझे लोरी सुनाने आजा.....

दर्दे आग़ोश हूँ, मेरे सिरहाने आजा
फिर वही लोरी, मुझे सुनाने आजा
फिर वही......

हर एक शख्स यहां मुझको डरता क्यों है
सहमा सहमा हूँ, आँचल में छुपाने आजा
फिर वही......

किसी शख्स को मेरा इंतेज़ार नहीं
झठा ही सही मुझे गुस्सा दिखाने आजा
फिर वही......

लफ़्ज़ों से दिखाते हैं, मोहब्बत मुझको
तू वही प्यार आंखों से बरसाने आजा
फिर वही......

फिर तेरा मिलना अब मुमकिन ही नही
यूं किसी रोज फ़राज़ को लेने के बहाने आजा
फिर वही......
©®राहुल फ़राज़

तुझसे हो न पायेगा

मेरे इश्क पर ऐतबार,
तुझसे हो न पायेगा।
मेरी तरह प्यार ,बेहद,
तुझसे हो न पायेगा ।

कसते रहो ताउम्र बस
तुम , ताने मुझपर ।
जज़्ब हर ज़ख्म मेरी तरह
तुझसे हो न पायेगा ।

मैं चाहत की हर हद पार
कर चुका हूं इश्क में 
फरहाद हूँ मैं शिरीन बनना
तुझसे हो न पायेगा ।

इश्क है तो ऐतबार भी 
करना चाहिए था 
तुझमे मैं हूँ, तुंम्हे थोड़ा
खोजना चाहिए था 

मेरे इश्क की तौहीन करके
क्या पाया आखिर ?
इश्क में यूं फ़राज़ बनना
तुझसे न हो पायेगा ।
©®राहुल फ़राज़

Wednesday, December 18, 2019

नही करनी कोई बात मुझे

नही करनी कोई बात मुझे
यूँ ही खामोश रहने दो।
एक तूफान सो रहा है दिल में
उसे यूँ ही सोने दो ।
लफ्ज़ बहकेंगे तो बात बढ़ेगी 
नाहक तेरी-मेरी
पलकों के किनारे पर, लहरों
को, थोड़ा और सोने दो
©®राहुल फ़राज़

प्यार बेहद करनां तुम.....!!

मुझे सुनाने को नही
दिल से करनां तुम ।
मुझे बेहद है,तुमसे
प्यार बेहद करना तुम ।
©®राहुल फ़राज़

कोई हिसाब नहीं है....

मेरी तक़दीर का कोई हिसाब नहीं है
कोहिनूर जो तेरे पास है,मेरे पास नही है

थामकर जिसका हाथ, तुम इतरा सकते हो
ऐसा मासूम गुलाब,तेरे पास है मेरे पास नही है

जिसके होने से रहता है, घर रौशन तेरा
वो जादुई चिराग तेरे पास है, मेरे पास नही है

थककर सो जाता होगा, कभी तेरे जानों पर वो
नूर है जो तेरी आंखों का,मेरे पास नही है

फ़राज़ बेवज़ह सी ही है, अब ज़िन्दगी मेरी
तेरी दौलत से बढ़कर,दौलत मेरे पास नही है।
©®राहुल फ़राज़

बेवज़ह नहीं है.....

बे वजह नही है मेरा भी, बहाना नींद का
बहोत भाता है,मुझे पेशानी चूमना  तेरा
©®राहुल फ़राज़

मैं आईना बना

वो रोज मुझे मेरा चेहरा दिखाता रहा
आज, मैं आईना बना तो, बिखर गया ।
©®राहुल फ़राज़ 
🙂🙂

चॉंद मेरी छत पर


चॉंद मेरी छत पर जब ठहर जाता है कभी
तेरी यादों का सिल सिला चल पडता है तभी

कुछ आधे, कुछ पुरे , कुछ टुटे कुछ रूठे से
अरमां सारे एक कतार में, खडे हो जाते है सभी


चॉंद मेरी छत पर------  



तेरे दिये जख्‍़मों पर मेरी पलके मरहम लगाने को
सावन मेरी ऑंखों से , फिर बरसा देती है तभी
चॉंद मेरी छत पर------

फ़राज़ इक यही वादा वो बडी शिद्दत से निभाता है
यादों में उसको जब बुलाउ आजाता है तभी
चॉंद मेरी छत पर------
© राहुल उज्‍जैनकर फ़राज़

अंदाज़ा है तुंम्हे ?

खुदा ने!
बेइंतहां मोहब्बत से नवाजा है तुम्हे
क्या! इस बात का अंदाज़ा है तुम्हे
मैने भी, मोहब्बत कम नही की तुझसे
मेरे दिले हालात का,अंदाज़ है तुम्हे
मेरी!
बरसती हुई आंखों में झांक के देख
हर बूंद में दिखेगा अक्स, तुम्हारा तुम्हे
और!
मेरी, दीवानगी का आलम न पूछ
उठ-उठ के रातों में, है पुकारा तुम्हे

दो घड़ी मुझसे गुफ्तगू करले

ये न हुआ के दो घड़ी मुझसे गुफ्तगू करले
गीले शिकवे दूर मिलके रूबरू करले ।
कितना कुछ पीछे छोड़ आया मैं अल्हदा  ही ।
ये न हुआ के,मुझसे मिलन की जुस्तजू करले
©®राहुल फ़राज़

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ? इमानो दिल,नज़ीर की बातें तुम करोगे ? तुम, जिसे समझती नही, दिल की जुबां मेरी आँखों मे आँखें डाल,बातें तुम...