Monday, August 01, 2022

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?


प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?
इमानो दिल,नज़ीर की बातें तुम करोगे ?

तुम, जिसे समझती नही, दिल की जुबां
मेरी आँखों मे आँखें डाल,बातें तुम करोगे ?

याद है ? मुकर गये थे ज़ुबाँ से ,रिवाजों से भी 
ओ ! बे-तहज़ीब, अदब की बातें तुम करोगे ?

इतनें डूबे अहंकार में, आसमां पर थूकने चले ?
ईमान बेचने वाले तुम,तमीज़ की बातें तुम करोगे ?

ये फ़राज़ की जहानत थी, के रिवायत निभाते रहा
परवशता की आड़ में छिपे,लिहाज की बात तुम करोगे?
©®राहुल फ़राज़

इमानो दिल=दिल और ईमान की बात
नज़ीर=फैसला सुनाने की बात 
रिवाज़=प्रथा/परंपरा/रीति 
जहानत=योग्यता/समझदारी
रिवायत=परंपरा
परवशता=मजबूरी
लिहाज=आदर

Thursday, July 28, 2022

क्या करूँगा मैं तुम्हारी,इन शुभकामनाओं का


मूल्य जब शून्य है, मेरी , अंतःभावनाओं का
क्या करूँगा मैं तुम्हारी,इन शुभकामनाओं का
दिन पर दिन व्यतीत हुए, वर्षों का समय गया
मन से लेश मात्र भी, वितृष्णा का भाव न गया
स्वार्थ की शर्करा से,क्यों भोग लगाना भावों का
क्या करूँगा मैं, तुम्हारी इन शुभकामनाओं का
आधे अधूरे स्वप्न मेरे, जब रक्तरंजित से पड़े रहे
तुम अपने ही गर्वानुभाव में,सीना तान खड़े रहे
व्यथा कहां सुनी तुमने,न उपचार हुआ घावों का
क्या करूँगा मैं तुम्हारी, इन शुभकामनाओं का
अब न बाकी स्नेह है मन में, न कोई अभिलाषा
स्वार्थ ने सारी बदल दी है, रिश्तों की परिभाषा
हल्का रह गया मोल,फ़राज़ अंतःभावनाओं का
क्या करूँगा मैं तुम्हारी,इन शुभकामनाओं का
©®राहुल फ़राज़
DT:२४/०७/२०२२

Monday, July 25, 2022

खुश रहने नही देते है

मुझे खुश रहने की, दुआ देते है
मगर, मुझे खुश रहने नही देते है
मुझसे कहते है, जिंदगी
जिंदादिली का नाम है
मगर, फ़राज़ को ज़िंदा
रहने नहीं देते हैं ।
©®राहुल फ़राज़

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*बात बस जरा सी है, मगर*
*ये उनको, समझाए कौन ?*
*बांटने से बढ़ती है खुशियां*
*मगर, ये लम्हे लाये कौन ?*

*मैं तो रखता हूँ, सम्हाल के*
*फिर वो लम्हे हो या रिश्ते*
*जेब से गिरे हो,उठा भी लूं*
*नज़र से गिरे,उठाये कौन?*
*©®राहुल फ़राज़*

जिसका डर था

वो न होते हालात,जिसका डर था,जो अब होंगे
हमनें तो,चाहा था साहिब-ए-मसनद आप होंगे

उगने वाले हैं ,अब कुकुरमुत्ते इस ज़मी पर भी
थी खैरियत दिल में, कि, मसले सभी हल होंगे

इक लम्बी खामोशी फैल गई है, बड़ी दूर तलक
अब भेड़ियों के शोर, अपने अडोस-पड़ोस होंगे

है ये आखरी मुकाम नही, सफर बहोत बाकी है
फ़राज़ आज चूहों के सही,कल शेरों के दिन होंगे
©®राहुल फ़राज़

महापौर चुनाव जुलाई 2022 में Dr जामदार जी की हार से दुखी होकर लिखी ।।

कोई गम मुझको भी तो तू अता करती जा

कोई गम मुझको भी तो तू अता करती जा
इश्क़ गुनाह है, तो मुझे मुज़रिम करती जा

बांध दे बेड़ियाँ मेरे पाँओं में, इन्तिज़ार की
बड़ा सुकून है जिंदगी में,कोहराम करती जा

दिल-ए-बस्ती में, न शोर कोई, न कोई रंज है
मस्तमौला है जिंदगी, तू नींद हराम करती जा

उकता गया हूं मैं,एक मुसलसल राह पे चलते
खुशहाल है रास्ते, तू बद से बदतर करती जा

यूं हर बात पर क्या, गुजरी रातों का हिसाब मांगना
इश्क में हिसाब क्या देखना, तू बेहिसाब करती जा

वक़्त बदले न बदले, कुछ पल को समां बदलेगा
फ़राज़ खुद कमाल है, तू इसे बेमिसाल करती जा
©®राहुल फ़राज़

बता बीमारी कौनसी है

सयाने हो सयानापन नही, समझदारी कौनसी है
बिना वजह यूं उलझते हो, बता बीमारी कौनसी है

मैं हरफनमौला-मस्तमौला तेरी आंख में खटक रहा
तन से उजले और मन से मैले, ये बीमारी कौनसी है

मैं मुसाफिर,तू भी मुसाफिर,किसने यहां रह जाना है
नाते गवां कर नगदी जमाना, ये बीमारी कौनसी है

घूमे शहर-शहर, हरि पूजे, तुझसे इंसान न पूजा जाय
माया के फेर में काया जलाय, ये बीमारी कौनसी है

न्यौता आवे भग-भग जावे, पाछौ बहुत ही शोर मचाय
मान-मन्नौअल तुझे रास न आवे, ये बीमारी कौनसी है

फ़राज़ तेरे दोहों से, मानव का तो जीवन तरजाय
रस्सी जले पर बल न जाय, ये बीमारी कौनसी है
©®राहुल फ़राज़

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?
इमानो दिल,नज़ीर की बातें तुम करोगे ?
 
तुम, जिसे समझती नही, दिल की जुबां
मेरी आँखों मे आँखें डाल,बातें तुम करोगे ?
 
याद है ? मुकर गये थे ज़ुबाँ से ,रिवाजों से भी
ओ ! बे-तहज़ीब, अदब की बातें तुम करोगे ?
 
इतनें डूबे अहंकार में, आसमां पर थूकने चले ?
ईमान बेचने वाले तुम,तमीज़ की बातें तुम करोगे ?
 
ये फ़राज़ की जहानत थी, के रिवायत निभाते रहा
परवशता की आड़ में छिपे,लिहाज की बात तुम करोगे?
©®राहुल फ़राज़
 
इमानो दिल=दिल और ईमान की बात
नज़ीर=फैसला सुनाने की बात
रिवाज़=प्रथा/परंपरा/रीति
जहानत=योग्यता/समझदारी
रिवायत=परंपरा
परवशता=मजबूरी
लिहाज=आदर

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ? इमानो दिल,नज़ीर की बातें तुम करोगे ? तुम, जिसे समझती नही, दिल की जुबां मेरी आँखों मे आँखें डाल,बातें तुम...