बेनाम ही सही पर ये रिश्ता तोडनां नहीं तुम
दिवाना जान अपनां ये साथ छोडना नहीं तुम
माना के चॉंद हो तुम और मैं जर्रा जमीं का
चॉंद भी होता पत्थर ही है,मुझसे जुदा नही हो तुम
आवाज आपके दिल की मेरे करीब से गुजरती नहीं
कहनां जो मर्जी हो पर मुझको बुरा कहनां नहीं तुम
''फराज'' खुद ही तेरी दुनिया से रूठनें वाला है अब
पर खुदा के लिये अभी मुझसे रूठनां नहीं तुम......
राहुल उज्जैनकर 'फराज'
दिवाना जान अपनां ये साथ छोडना नहीं तुम
माना के चॉंद हो तुम और मैं जर्रा जमीं का
चॉंद भी होता पत्थर ही है,मुझसे जुदा नही हो तुम
आवाज आपके दिल की मेरे करीब से गुजरती नहीं
कहनां जो मर्जी हो पर मुझको बुरा कहनां नहीं तुम
''फराज'' खुद ही तेरी दुनिया से रूठनें वाला है अब
पर खुदा के लिये अभी मुझसे रूठनां नहीं तुम......
राहुल उज्जैनकर 'फराज'
No comments:
Post a Comment