आज पुछते हो हमसे के , परेशां क्युं हो
सौगाते गमों की देने वाले तुम ही तो हो
मत छिडको तुम नमक उेरे जख्मों पर
साभी मेरा छिननें वाले तुम ही तो हो
हर रात जागता हूं , करवाटें बदलता हूं
मेरे ख्वॉबों सुनहरे छिननें वाले तुम ही तो हो
अधेरों से प्यार , अपनें से नफरत हो गयी है
उजाले जिंदगी के छिननें वाले तुम ही तो हो
जिंदगी सूनी राहों का सफर हो गयी है ''फराज''
नाकाम मुहब्बत को करनें वाले तुम ही तो हो
राहुल उज्जैनकर ''फराज''
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