कुछ लोग तुझसे हरवक्त मुझे मिलनें नही देते
गुलशन मेरे अरमानों के ये खिलनें नही देते
देते है फ़रेब 'फ़राज़',हर वक्त मुझे लफ़जों से
परवान ये मोहब्बत को मेरी चढनें नही देते
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़'
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भूल जानें वालों में मुझे शुमार1 करनें वाले
नीमबाज़2 ऑखों से मुझे बिमार करनें वाले
होके मेहरबां मुझे अपनी अंजुमन3 में शुमार कर
बेशुमार बेकदरों में'फ़राज़'को शुमार करने वाले
राहुल उज्जैदनकर 'फ़राज़'
1-शामिल करनां
2-नशीली ऑखें
3-महफिल,सभा
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हर गम से इस जमानें को जुदा करगये जो
इस इश्क पें अपनीं जॉं निसार कर गये जो
उनकी कब्र पे चिराग भी नही जलते 'फ़राज़'
मोहब्बत को जमानें में खुदा करगये जो...
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़'
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हर गम, हर खुशी, हर अपनें, में तलाश करता हूं
हर कायनात, हर ज़र्रे, हर शै, में तलाश करता हूं
बनकर प्यार, 'फ़राज़'के दिल में समानें वाले
तुझे दिल के हर इक कोने में तलाश करता हूं
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़'
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दिल-ए-सहरा में प्यार का चमन लगाओ तुम
बे-रौशन है दुनिया प्यार का चिराग जलाओ तुम
जब कहती हो की,तुम्हे मोहब्बत है मुझसे..तो
बनके दिवानी किसी दिन गले लगाओ तुम !!
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़'
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हमनें भी तबसे बा-वफा रहने की कसम खा ली
ReplyDeleteतुमको जबसे 'बे-वफाई' का चस्का लगा है ...........
राहुल उज्जैनकर 'फराज'
बहुत सुन्दर सभी बेहतरीन है..
ReplyDeleteमनभावन प्रस्तुति...
:-)
बेहतरीन............
ReplyDeleteलाजवाब शेर...
अनु
बहुत खूब
ReplyDeleteआप सभी का सादर अभिनंदन
ReplyDeleteधन्यवाद