आसमां
का चांद तेरी आरिजों1 में है ||
गेसुओं
में समेटा है,घटाओं
को तुमनें |
कत्लेआम
इस दिले गरीबखानें में है ||
या
खुदा 'फराज'
जिंदा है या
मुर्दा |
फलक2 की जन्नत मेरी
निगाहों में है ||
राहुल उज्जैनकर 'फराज'
राहुल उज्जैनकर 'फराज'
0=सूर्य का तेज
1=रूखसार, गाल
2=आसमान, आकाश
हर गम, हर खुशी, हर अपनें, में तलाश करता हूं
हर कायनात, हर जर्रे, हर शै, में तलाश करता हूं
बनकर प्यार, 'फराज'के दिल में समानें वाले
तुझे दिल के हर इक कोने में तलाश करता हूं
राहुल उज्जैनकर 'फराज'
हर गम, हर खुशी, हर अपनें, में तलाश करता हूं
हर कायनात, हर जर्रे, हर शै, में तलाश करता हूं
बनकर प्यार, 'फराज'के दिल में समानें वाले
तुझे दिल के हर इक कोने में तलाश करता हूं
राहुल उज्जैनकर 'फराज'
bahut khoob .nice blog .badhai
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर