वक्त बे वक्त यूं ही, बस मुस्कुराने को दिल करता है
तुमका गये अर्सा हो गया, अब भुलानें को दिल करता है
तेरे मेरे बीच कभी इकरार हुआ करता था
यादों से अब तेरी तकरार को दिल करता है
तुमको गये...........
उजाले भर का साथ्ा नहीं, ये यकिन दिलाया करती थी
अंधेरों को आज गले लगा, बहकनें को दिल करता है
तुमको गये...........
लब हमारे यूं मिले थे, मानों दो जिस्म रूह एक हुई
अपनें हिस्से की कजा पर, जश्न करनें को दिल करता है
तुमको गये.................
उसमें ना जुनुने इश्क था, ना वफा, ना कोई जज्बात
'फराज' तेरी दिवानगी पर, लानते देनें को दिल करता है
तुमको गये अर्सा हो गया...............
राहुल उज्जैनकर 'फराज'
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