Sunday, September 08, 2013

तेरी दुनिया, मेरी दुनियां से, अब अलग कहां है



तेरी दुनिया, मेरी दुनियां से, अब अलग कहां है
मैं गर जागता हूं रातों को,तो सोती तू भी कहां है

फासले इतनें भी नहीं, तेरे मेरे दरमियां,के लौट ना सकें
घुट के रह जाती है सदायें मेरी,आवाज़ देती तू भी कहां है
तेरी दुनिया, मेरी दुनियां से, अब अलग कहां है
मैं गर जागता हूं रातों को, तो सोती तू भी कहां है

वस्‍ले इंतिजार में,ग़मों को नासूर बना के रख्‍खा है
क्‍यो ना कुरेदूं जख्‍़मों को,मरहम तू भी लगाती कहां है
तेरी दुनिया , मेरी दुनियां से , अब अलग कहां है
मैं गर जागता हूं रातों को , तो सोती तू भी कहां है

सैयाद का क़फ़स ही है अब, लैला का नसीब़ फ़राज़
पर कतरे हो जिसके, वो चिडिया फिर उडती कहां है
तेरी दुनिया , मेरी दुनियां से , अब अलग कहां है
मैं गर जागता हूं रातों को , तो सोती तू भी कहां है
राहुल उज्‍जैनकर फ़राज़

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ?

प्यार वफ़ा इश्क की बातें, तुम करोगे ? इमानो दिल,नज़ीर की बातें तुम करोगे ? तुम, जिसे समझती नही, दिल की जुबां मेरी आँखों मे आँखें डाल,बातें तुम...